Saatyaki s/o Seshendra |
अनुष्ठान के लिए हो या अनुशीलन के लिए हो - रामायण वाल्मीकि की कविता के लक्षण कितने लेखकों की रचनाओं के लिए पथ प्रदर्शक हैं ? क्या व्यास जी ने वाल्मीकि के रचना - वैभव का उपयोग कर लिया है ? अशोक वाटिका में राक्षसी त्रिजटा ने जो सपना देखा है क्या वह गायत्री मंत्र का अर्थ ही है? सुंदरकाण्ड के लिए वाल्मीकि ने वह नाम क्यों चुना है ? - ऐसे अनेकों प्रश्नों के उत्तर प्रदान करती है गुण्टूरु शेषेन्द्र शर्मा की रचना " षोडशी " । शेषेन्द्र इस रचना में पग पग पर शास्त्रीय रहस्यों को सेंक कर आगे बढाते गए हैं, षोडशी इसी का परिचय देती है । यह रचना पुनः प्रकाशित होकर पाठकों के सामने आई हैं। सीता देवी को कुण्डलिनी शक्ति के लिए और पराविद्या के लिए प्रतीक के रूप में स्वीकार करने वाली वाल्मीकि रामायण के द्वारा ऊपरी तौर पर चाहे राम की गाथा व्यक्त हो पर गहरे स्तर पर श्रीविद्या की शिक्षा मिलती है । इसी का निरूपण शेषेन्द्र ने षोडशी में किया है। आध्यात्मक पथ पर चलने की इच्छा रखनेवालों के लिए रामायण कितने ही मार्गों की पहचान कराती है। इन्हीं का सोदाहरण विवरण उक्त रचना में मिलता है। "एक देश के झंडे में जितना घमंड रहता है उतना ही घमण्ड मुझ में है " : घोषित करनेवाले साहासी हैं शेषेन्द्र । जनवादी कवि के रूप में प्रतिष्ठित पंडित कवि द्वारा उपासना बल और अनुशीलन की गहरी दृष्ठि के योग से उपजी कृति है षोडशी । यह भक्ति से पारायण करने वालों और श्रद्धा से अनुसंधान करनेवालों दोनों के लिए अनुसरणीय रचना है । रामायण के रहस्यों का उद्घाटन करने में सक्षम रचना है षोडशी । गहराई से पाठक पढें । आंध्रज्योति, तेलुगु दैनिक रविवार 28.7.2013 --------------- दार्शनिक और विद्वान कवि एवं काव्य शास्त्रज्ञ शेषेन्द्र शर्मा 20 अक्तूबर 1927 - 30 मई 2007 Visionary Poet of the Millennium http://www.seshendrasharma.weebly.com मातापिता : अम्मायम्मा, जी. सुब्रह्मण्यम भाईबहन : अनसूया, देवसेना, राजशेखरम धर्मपत्नि : श्रीमती जानकी शर्मा संतान : वसुंधरा, रेवती (पुत्रियाँ) वनमाली सात्यकि (पुत्र) बी.ए : आन्ध्रा क्रिस्टियन कालेज गुंटूर आं. प्र. बी.एल. : मद्रास विश्वविद्यालय, मद्रास नौकरी : डिप्यूटी मुनिसिपल कमीशनर (37 वर्ष) मुनिसिपल अड्मिनिस्ट्रेशन विभाग, आ.प्र. *** शेषेन्द्र नामसे ख्यात शेषेन्द्र शर्मा आधुनिक भारतीय कविता क्षेत्रमें एक अनूठे शिखर हैं । आपका साहित्य कविता और काव्य शास्त्र का सर्वश्रेष्ठ संगम है । विविधता और गहराई में आपका दृष्टिकोण और आपका साहित्य भारतीय साहित्य जगत में आजतक अपरिचित है। कविता से काव्यशास्त्र तक, मंत्र शास्त्र से मार्क्सवाद तक आपकी रचनाएँ एक अनोखी प्रतिभा के साक्षी हैं । संस्कृत, तेलुगु और अंग्रेजी भाषाओं में आपकी गहन विद्वत्ता ने आपको बीसवीं सदी के तुलनात्मक साहित्य में शिखर समान साहित्यकार के रूपमें प्रतिष्ठित किया है। टी. एस. इलियट, आर्चबाल्ड मेक्लीश और शेषेन्द्र विश्व साहित्य और काव्य शास्त्र के त्रिमूर्ति हैं । अपनी चुनी हुई साहित्य विधा के प्रति आपकी निष्ठा और लेखन में विषय की गहराइयों तक पहुंचने की लगन ने शेषेन्द्र को विश्व कविगण और बुद्धिजीवियों के परिवार का सदस्य बनाया है। संपर्क : सात्यकि S/o शेषेन्द्र शर्मा saatyaki@gmail.com, +91 9441070985, 77029 64402 काश्यश्च परमेष्वासः शिखण्डी च महारथः । धृष्टद्युम्नो विराटश्च सात्यकिश्चापराजितः ॥ kāśyaśca paramēṣvāsaḥ śikhaṇḍī ca mahārathaḥ. dhṛṣṭadyumnō virāṭaśca sātyakiścāparājitaḥ ৷৷ Bhagawat Gita : 1.17 ৷৷ sātyakiścāparājitaḥ ৷৷ Bhagawat Gita : 1.17 ৷৷ |
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